दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़, लोगों ने मेरे घर से  रास्ते बना लिए

Ahmad Faraz

उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़ वो परेशां हो तो हमें  नींद नहीं आती.

Ahmad Faraz

अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़ वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.

Ahmad Faraz

तुम्हारी दुनिया में हम जैसे हजारों हैं “फ़राज़” हम ही पागल थे जो  तुम्हे पा के इतराने लगे

Ahmad Faraz

आँखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है नहीं तो नकाबों से भी होते हैं इशारे मोहब्बत के

Ahmad Faraz

एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़ मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है

Ahmad Faraz

मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो फ़राज़, वो मेरे सामने रो रहा है किसी और के लिए।

Ahmad Faraz

इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़, इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं

Ahmad Faraz

दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़, बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो

Ahmad Faraz

मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़, किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया

Ahmad Faraz