इश्क़ की तलाश में क्यों निकलते हो तुम, इश्क़ खुद तलाश लेता है जिसे बर्बाद करना होता है
Gulzar
वो शख़्स जो कभी मेरा था ही नही, उसने मुझे किसी और का भी
नही होने दिया
Gulzar
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
Gulzar
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आयी और चाँद भी था,
मगर नींद नहीं
Gulzar
कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती, जब तक ख़ुद पर ना गुजरे
Gulzar
बेहिसाब हसरते ना पालिये, जो मिला हैं उसे सम्भालिये
Gulzar
किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत, इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं
Gulzar
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी, जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं
Gulzar
तन्हाई अच्छी लगती है सवाल तो बहुत करती पर,. जवाब के लिए ज़िद नहीं करती
Gulzar
खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते, बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते
Gulzar