जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है
Mahabharat
जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए
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सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है
ना ही कहीं और
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व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे
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किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े
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लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से भी बदतर है
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मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है जैसा वो विश्वास करता है वैसा
वो बन जाता है
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सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को इन्सान अपने लिए अच्छा नहीं समझता दूसरों के लिए भी न करे
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जो मनुष्य अपनी निंदा सह लेता है उसने मानो सारे जगत पर विजय प्राप्त कर ली
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मन का दुख मिट जाने पर शरीर का दुख भी मिट जाता है
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