मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बङी कमाई होती है।अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए
Maharana Pratap
जो सुख मे अतिप्रसन्न और विपत्ति मे डर के झुक जाते है, उन्हे ना सफलता मिलती है और न ही इतिहास मे जगह
Maharana Pratap
सम्मानहीन मनुष्य एक मृत व्यक्ति के समान होता है
Maharana Pratap
एक शासक का पहला कर्त्यव अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाने का होता है
Maharana Pratap
तब तक परिश्रम करते रहो जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाये
Maharana Pratap
मातृभूमि और अपने माँ मे तुलना करना और अन्तर समझना निर्बल और मुर्खो का काम है
Maharana Pratap
ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो
Maharana Pratap
जो अत्यंत विकट परिस्तिथत मे भी झुक कर हार नही मानते। वो हार कर भी जीते होते है
Maharana Pratap
अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वो अपने स्वभाव के अनुसार डसेगाँ ही
Maharana Pratap
अपने और अपने परिवार के अलावा जो अपने राष्ट्र के बारे मे सोचे वही सच्चा नागरिक होता है
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