थक गया हूँ तेरी नौकरी से जिंदगी मुनासिब होगा अगर, मेरा  हिसाब कर दे

Rahat Indori

क्या करेगा वो समझकर की सियासत क्या है, जिसने ये जान लिया है,  की मोहब्बत क्या है।

Rahat Indori

किसी को खोकर भी, सिर्फ उसी को चाहते रहना, हर किसी के  बस की बात नहीं।

Rahat Indori

तेरी कुछ बात ही अलग है, वरना मै अपने आप से भी कम ही मिलता हूँ।

Rahat Indori

झुकने से रिश्ता गहरा हो तो झुक जावो, पर हर बार आपको ही झुकना पड़े, तो रुक जावो

Rahat Indori

दिलों मे आग लबों पर गुलाब रखते हैं, सब अपने चेहरों पे दोहरी  नकाब रखते हैं

Rahat Indori

जब लगे पैसे कमाने तो समझ आया, सुख तो मा-बाप के पैसों से पूरे होते है, अपने पैसों से तो, जरूरत  पूरी होती है।

Rahat Indori

बस यही दो मसलें, ज़िंदगी भर ना हल हुये, ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुक़ामल हुये

Rahat Indori

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएं

Rahat Indori

वक्त ने काहा काश थोड़ा और सबर होता, सबर ने कहाकाश थोड़ा और वक्त होता

Rahat Indori