जिन लोगों ने मुझे बताया कि मैं एक लड़की हूं और कुश्ती नहीं कर सकती, मैं कहना चाहती हूं कि कृपया कुछ विश्वास दिखाएं, लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं।

Sakshi Malik

मैं गौरवान्वित और विशेष महसूस कर रही हूं कि मैं भारत के लिए यह पदक  हासिल कर सकी

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जब मैंने खेलना शुरू किया तो बहुत लोग कहते थे लड़की होकर कुश्ती कर रही है। अब वही लोग आते हैं मुझे बधाई देते हैं और मेरे साथ फोटो खिंचवाते

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एक भारतीय एथलीट द्वारा एक ईमानदार स्वीकारोक्ति। हमें याद दिलाता है कि हमारी मानसिकता में बदलाव  की जरूरत है।

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मेरी मां नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी पहलवान बने। लेकिन जब मैंने संघर्ष किया और कुछ वर्षों तक कड़ी मेहनत की, तो मेरे परिवार का बहुत सहयोग मिला

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कोई भी खेल पूरी प्रतिबद्धता मांगता है।  हम खिलाड़ियों की सामाजिक जिंदगी तो मानो खत्म ही हो जाती है

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किसी खिलाड़ी के दबाव को कोई नहीं समझ सकता। मैंने कुछ बड़ी बड़ी परीक्षाएं दी हैं लेकिन इतना दबाव कभी  महसूस नहीं किया

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कभी भी आलोचनाओं के डर से खेल छोड़ने का विचार मेरे मन में  कभी नहीं आया

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मैं हर समय आश्वस्त थी। मुझे हमेशा लगता था कि मैं जीतूंगी। मैं पीछे नहीं हटी  और धक्का देती रही

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जब आप कुश्ती खेलना शुरु करते हैं, तो ऐसा नहीं है कि अगले ही दिन से आप जितने लगेंगे।  एक लेवल पर पहुंचने के  लिए 2 से 3 साल लगते ही हैं।

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