यूक्रेन में तबाही मचा रहे रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (Russia Veto Power UNSC) में आए प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल किया है।
हालत यह रही कि सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में 11 ने रूस के खिलाफ मतदान किया। वहीं, भारत, यूएई और चीन ने रूस के खिलाफ आए प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और उसने इस प्रस्ताव को गिराने के लिए अपने 'वीटो' पावर का इस्तेमाल किया।
रूस के वीटो करते ही यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। आइए जानते हैं क्या है रूस का ब्रह्मास्त्र 'वीटो' और उसका यूक्रेन कनेक्शन जिसके आगे फेल हो गए नाटो देश
अमेरिका और अन्य सुरक्षा परिषद के सदस्य जानते थे कि रूस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पावर का इस्तेमाल करेगा लेकिन इसके बाद भी उन्होंने प्रस्ताव को पेश किया।
अमेरिका और नाटो देशों ने दलील दी कि इसस रूस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग पड़ेगा।
सुरक्षा परिषद ने रूस से मांग की थी कि वह यूक्रेन पर हमले रोक दे और अपने सभी सैनिकों को वापस बुला ले।
सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव के विफल होने से अमेरिका और नाटो के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐसे ही प्रस्ताव पर शीघ्र मतदान कराने की मांग का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा में वीटो का प्रावधान नहीं है।
Veto की आढ़ में अमेरिका छुपा बैठा है, करना तो वैसे भी उसे कुछ नहीं था। - Jey Yadav